Kavi Amar Kirti Gani
कवि अमर कीर्ति गणि
अपभ्रंश काव्य के रचनाकारों में अमरकीर्ति गणि का भी महत्वपूर्ण स्थान है। कवि को मुनि, गणि और सूरि की उपाधियां प्राप्त थी। इससे सिद्ध होता है कि कवि अमर कीर्ति ने गृहस्थ आश्रम त्याग कर मुनि दीक्षा ले ली थी। कवि अमरकीर्ति का समय लगभग तेरहवीं शताब्दी माना गया है। इनकी 6 रचनाएं प्राप्त होती हैं।
1. णेमिणाह चरिउ
2. महावीर चरिउ
3. जसहर चरिउ
4. धर्म चरित टिप्पण
5. सुभाषित रत्न निधि
6. धर्म उपदेश चूड़ामणि
7. ध्यान प्रदीप
8. छक्कम्मुवएस
इनमें से णेमिणाह चरिउ
में भगवान नेमिनाथ के चरित्र का वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ वर्तमान में सोनागिर के शास्त्र भंडार में सुरक्षित है।
साथ ही षट्कर्म उपदेश नाम की रचना में गृहस्थ के 6 कर्मों का अर्थात छह आवश्यक का वर्णन किया गया है। यह रचना गुजरात के मध्य महीगड के आदीश्वर चैत्यालय में की थी। कवि की अन्य रचनाएं प्राप्त नहीं है।